(शिवम् अवस्थी), नई दिल्ली। कहते हैं कि हर सफर की एक मंजिल होती है और हर रास्ते का एक अंत..खेल भी उसी सफर की ही तरह है जहां बादशाहत, जलवा, फिटनेस, और फॉर्म जैसी चीजें आती तो हैं लेकिन हमेशा केलिए नहीं ठहरती। भारतीय क्रिकेट में हमनें कई दिग्गजों को विश्व स्तर पर अपनी छाप छोड़ते हुए देखा और उसी सफर में दिल्ली के वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर भी एक थे..जी हां, 'थे'..इस शब्द का प्रयोग पता नहीं कितने क्रिकेट फैंस को सही लगेगा लेकिन मौजूदा समय में शिखर धवन ने जिस अंदाज में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट पर धूम मचाई है उससे एक बड़ा सवाल अब सामने है कि, क्या यही है सहवाग और गंभीर के करियर का अंत? अभ्यास मैचों व कुछ घरेलू मैचों में गंभीर के फॉर्म और उनकी उम्र को देखते हुए शायद उन्हें दोबारा मौका मिल भी जाए लेकिन सहवाग की वापसी अब मुश्किल ही नजर आ रही है। इनमें से एक को धवन बाएं हाथ के बल्लेबाज (गंभीर) के रूप में चुनौती दे रहे हैं जबकि दूसरे (वीरू) को आक्रामकता के लिहाज से।
यह सही है कि 34 वर्षीय वीरेंद्र सहवाग और 31 वर्षीय गौतम गंभीर उम्र के इस पड़ाव में भी अपने अनुभव और हुनर के दम पर वापसी करके अपने करियर के अंतिम कुछ सालों को एक बेहतरीन रूप दे सकते हैं लेकिन यह सच है कि भारतीय क्रिकेट में हर क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर नहीं हो पाता और हर क्रिकेटर को सचिन की तरह मौके भी नहीं मिलते रहते। महेंद्र सिंह धौनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने जो युवा रूप अख्तियार किया है उसकी आदत अब फैंस को भी हो चुकी है और धौनी भी इसको लेकर कोई समझौता नहीं करना चाहते, टीम से आज सचिन, लक्ष्मण, द्रविड़, गांगुली, सहवाग, युवराज, गंभीर, हरभजन और जहीर जैसे दिग्गज नदारद हैं लेकिन फिर भी हमनें विदेश में तीन बड़े खिताब जीतकर इतिहास रचा है..फैंस के लिए अपने स्टार्स को लेकर भावनाएं माएने जरूर रखती हैं लेकिन यह हकीकत है कि जब देश जीत के अभियान पर हो तो इन बातों को नजरअंदाज करने में फैंस जरा भी देर नहीं लगाते।
Original Found Here... http://www.jagran.com/cricket/headlines-is-dhawan-shining-a-end-career-for-sehwag-and-gambhir-10643453.html
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