
देवास। कथावाचक आसाराम का संकट बढ़ता ही जा रहा है। हाल ही में उनके इंदौर स्थित आम की नपती की कार्रवाई के बाद अब देवास के जामगोद स्थित आम की प्रशासनिक सर्जरी भी शुरू हो गई है। रविवार को जिला प्रशासन ने जामगोद के ग्रामीणों की शिकायत पर यहां आम और जमीन की नपती शुरू की।
शाम करीब 6 बजे राजस्व विभाग का अमला एसडीएम के नेतृत्व में शहर से करीब 12 किमी दूर स्थित उनके आम पहुंचा और कार्रवाई को अंजाम दिया। मौके पर पहुंचे प्रशासनिक दल ने जब ग्रामीणों और सरपंच के साथ ही जमीन बेचने वाले व्यक्ति से बात की तो कई चौंकाने वाली बातें भी सामने आई। जामगोद के सरपंच कमल अहिरवार ने एसडीएम धीरज वास्तव को बताया कि करीब 17 साल पहले यह जमीन आसाराम ने कौड़ियों के दाम खरीद ली थी। यह जमीन जामगोद ग्राम पंचायत के अधीन आती है। इतने बरसों में आसाराम ने न तो संपत्ति कर भरा है और न ग्राम पंचायत द्वारा इस संबंध में भेजे गए नोटिस का ही कोई जवाब दिया। जब बाबा की गिरफ्तारी हुई तो आम की ओर से कहा गया कि संपत्तिकर ले लो। ग्रामीणों का कहना था कि यहां कई किसानों की जमीन भी आसाराम ने दबा रखी है। एसडीएम धीरज वास्तव ने मौके पर जब जांच की तो जमीन बेचने वाले व्यक्ति के परिजन ने बताया कि जितनी जमीन बेची गई है, बाबा ने उससे कहीं आगे जाकर पहाड़ी पर अपनी कुटिया बना ली है। एसडीएम का कहना है कि इस बात पर भी जांच उपरांत नपती की जाएगी, क्योंकि पहाड़ी शासकीय है और यदि यहां पर कुटिया अतिक्रमण में पाई जाती है तो अतिक्रमण तोड़ने की कार्रवाई भी की जा सकती है।
ग्रामीणों ने की शिकायत
एसडीएम धीरज वास्तव ने बताया कि 5 सितंबर को जामगोद के ग्रामीणों ने जिला प्रशासन को शिकायत की थी कि राजानल तालाब के पास स्थित पहाड़ी पर आसाराम ने अपना आम बनाकर अतिक्रमण कर रखा है। इसके साथ ही तालाब पर आने--जाने के लिए यहां स्थित रास्ता भी बाधित किया जाता है।
नपती में चलेगा पता!
एसडीएम वास्तव ने बताया कि आसाराम की करीब साढ़े 23 बीघा जमीन बताई जा रही है। लेकिन इसके अलावा पहाड़ी की जमीन पर भी आम का अतिक्रमण है। पूरी नपती के बाद ही पता चलेगा कि आम का कितना हिस्सा अवैध है। उन्होंने बताया कि प्रारंभिक जांच में ऐसा लग रहा है कि पहाड़ी पर भी आसाराम का अतिक्रमण है। एग्रीकल्चर लैंड पर आम बनाकर डेवलपमेंट किया गया है। इसकी अनुमति है या नहीं। जमीन के कौन से व कितने दस्तावेज उपलब्ध हैं या नहीं आदि सभी तथ्यों की जांच की जाएगी। अतिक्रमण निकला तो आम तोड़ने की कार्रवाई होगी।
25 हजार प्रति बीघा खरीदी
जामगोद के वसूली पटेल दुलेसिंह ने बताया कि करीब 17 या 18 साल पहले करीब लाढ़े 23 बीघा जमीन उनके रिश्तेदार संमदरसिंह ने आसाराम को 25 हजार रपए प्रति बीघा में बेची थी। इस पर वर्तमान में आसाराम का आम और कुटिया बनी है।
तो नहीं दी चाबी!
आम की देखरेख करने वाले अर्जुन उइके से जब एसडीएम ने आम की चाबी मांगी तो उन्होंने कहा कि उपलब्ध नहीं है। एसडीएम ने कहा कि चाबी की व्यवस्था करो, नहीं तो सोमवार को ताला तोड़कर अंदर कमरों की जांच की जाएगी।
Original.. http://www.jagran.com/news/national-asaram-had-taken-23-acre-lant-on-throwaway-price-10710941.html
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