
मुंबई। कविता कौशिक छोटे पर्दे की चर्चित कलाकार हैं। वे कई धारावाहिकों में अभिनय कर चुकीं हैं और स्टार प्लस के एक शो 'अरे दीवानों मुझे पहचानो' की होस्ट भी बनीं, लेकिन उनका अंदाज जो लोगों में भाया, वह है चंद्रमुखी चौटाला का। वे इस किरदार को लंबे समय से निभाती आ रही हैं और सच तो यह है कि कविता अपने नाम से कम और चंद्रमुखी चौटाला के नाम से घर घर पहचानी जाती हैं। पिछले दिनों कविता से मुलाकात होने पर सबसे पहले यही पूछा कि उन्होंने अचानक सब टीवी के हास्या धारावाहिक 'एफआईआर' से रिश्ता क्यों तोड़ लिया था? उन्होंने बताया, 'दरअसल, मैं लगातार काम करके थक गई थी। मैं कुछ समय के लिए ब्रेक चाहती थी, लेकिन सीरियल की टीआपी ऐसी थी कि शो वाले मुझे छोड़ने को तैयार नहीं थे।'
कविता आगे कहती हैं, 'जब मैं अपना मन बना ही रही थी कि मुझे एक फिल्म के लिए ऑफर मिले, तब काम मिल गया। मैं उसका नाम अभी नहीं बता सकती, क्योंकि उसके अब तक कई नाम बताए जा चुके हैं, लेकिन कोई फाइनल नहीं हुआ है। इस फिल्म में मेरे साथ दीपक डोबरियाल हैं।' फिल्म है किस बारे में? वे बताती हैं, 'यह आज के हालात पर व्यंग्य है। कहने का मतलब यह है कि जब चपरासी की नौकरी के लिए ग्रेजुएट की मांग होती है तो देश चलाने के लिए अंगूठाटेक लोग क्यों? ऐसी ही तमाम हालात और समस्याओं पर आधारित है यह फिल्म। इसमें मैं दीपक की पत्नी की भूमिका में हूं। विनोद नागपाल मेरे पिता की भूमिका में हैं, जिनका फिल्म में एक ढाबा है।
उसी ढाबे को दीपक डोबरियाल चलाते हैं लेकिन उन पर नशा छाता है नेता बनने का। पूरी फिल्म इसी पर है। खुश हूं फिल्म कर के।'
चंद्रमुखी चौटाला वाला अंदाज तो उसमें नहीं होगा?
कविता कहती हैं, 'नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं होगा। लोग इस फिल्म में मुझे देखकर चौंक जाएंगे। मुझे भी फिल्म ??? काम करके मजा आ रहा है। यह मेरी पहली फिल्म है। उम्मीद करती हूं कि लोगों को मेरे काम से निराशा नहीं होगी।' लेकिन हाल में आपने फिर से धारावाहिक 'एफआईआर' से रिश्ता जोड़ लिया?
वे इस बात को स्वीकारती हैं, 'मैं एक बार फिर इस शो में दिख रही हूं। उसमें दिखने की वजह यही है कि शो के लोगों ने संपर्क किया और बताया कि जो काम आपने किया है, वैसा मजा नहीं आ रहा है। अगर आप आ जाएं तो हम उसे आगे बढ़ाएं।
फिर उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि मैं जो भी तारीख फिल्म के लिए चाहूंगी, वे देंगे। वैसे भी मेरी यही कोशिश होती है कि सीरियल की शूटिंग इतना एडवांस कर दूं कि आगे कोई बाधा न आए और फिल्म के लिए तारीख देने में शो के लोगों को या मुझे कोई दिक्कत न आए।'
कविता से बात होती है कि 'एफआईआर' में पुलिस इंस्पेक्टर चंद्रमुखी चौटाला के रूप में उन्होंने लंबा सफर तय कर लिया है। अब कैसा सोचती हैं वे?
कविता बताती हैं, 'सच कहूं, तो इस रोल में मैं कुछ इस तरह रम गई हूं कि मुझे लगता है कि इस भूमिका को निभाना मेरे लिए बांए हाथ का खेल है। जब मैं इसकी शूटिंग कर रही होती हूं, तब मैं खुद को सबसे अधिक सहज महसूस करती हूं। फटाफट अपने संवाद याद कर लेती हूं और हरियाणवी में बोलना अब मेरी आदत हो गई है। जब 'एफआईआर' की शूटिंग नहीं हो रही होती है, तो पूरी टीम के साथ-साथ चंद्रमुखी को मैं बहुत मिस करती हूं। जाहिर है, इसी चरित्र ने मुझे लोगों में पहचान दी है।'
अभी छोटे पर्दे पर सास-बहू वाले ड्रामे से अलग कार्यक्रम भी देखे जा रहे हैं। कविता इस परिवर्तन को किस नजरिए से देखती हैं? वे कहती हैं, 'यह परिवर्तन पॉजिटिव है। कुछ समय पहले को याद करिए तो केवल सास-बहू वाला ड्रामा ही हर चैनल पर दिखता था। मेरी समझ से अतिकिसी भी चीज की बुरी होती है और वही हुआ उन धारावाहिकों के साथ। दर्शकों ने भी एक ही ढर्रे पर बने धारावाहिकों को अस्वीकार करना शुरू कर दिया। अब हर तरह के धारावाहिक और कार्यक्रमों को दर्शक स्वीकार रहे हैं। दर्शकों को भी भरपूर मनोरंजक कार्यक्रम देखने को मिल रहे हैं।'
Original.. http://www.jagran.com/entertainment/bollywood-now-a-days-kavita-kaushik-is-busy-in-shooting-10695278.html
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