अहमदाबाद [शत्रुघ्न शर्मा]। कभी कालुपुर रेलवे स्टेशन से कोयला चोरी के आरोप में पकड़े गए आसुमल कुछ दिन पहले तक कथावाचक आसाराम बापू के रूप में प्रसिद्ध थे और आजकल रेप के आरोप में सलाखों के पीछे होने के कारण सुर्खियों में हैं।
वैसे आसाराम और विवाद एक-दूसरे के पूरक रहे हैं। गत चार दशक में आसाराम ने धर्म व जमीन कब्जाने के धंधों से सैकड़ों करोड़ का साम्राज्य खड़ा कर लिया, लेकिन इनकी हर संपत्ति के साथ विवाद जुड़ा है। महिलाओं के यौन शोषण व बच्चों पर तांत्रिक विद्या का खुलासा कई बार हो चुका है। आरोप यह भी लगते रहे हैं कि बापू सत्संग के दौरान ही फूल फेंककर सेवा के लिए महिला भक्तों का चयन करते हैं, जिसके कारण उनकी रंगीली छवि बन गई।
पाकिस्तान के सिंध प्रांत के नवाबशाह जिले के बेरानी गांव में जन्मे आसुमल पिता के साथ भारत आ गए थे। व्यापारी पिता की आर्थिक हालत ज्यादा ठीक नहीं थी। शुरुआत में आसाराम ने अहमदाबाद में अवैध शराब का कारोबार शुरू किया तो कभी दूध वाले के यहां नौकरी की। एक बार कालुपुर रेलवे स्टेशन पर कोयला चोरी के आरोप में भी पकड़े गए। मां के अध्यात्मिक होने से उनका झुकाव व्यापार से अध्यात्म की ओर हुआ और उत्तर गुजरात के लीलाशाह जी महाराज से उन्होंने योग की शिक्षा हासिल की। इसके बाद आसाराम ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। जैसे-जैसे समृद्धि आती गई, आरोप भी उसी रफ्तार के साथ उनसे जुड़ते गए। कभी जमीन कब्जाने, काला जादू करने, भक्तों को मर्दाना नुस्खे बताने के अलावा चालू प्रवचन में ही मीडिया व सरकारों को गर्भित धमकी देना उनकी आदत में शुमार हो गया।
नई दिल्ली में गैंगरेप की शिकार युवती के संदर्भ में उन्होंने कहा था कि पीड़िता उन आरोपियों में किसी को भाई मान लेती तो उसके साथ ऐसी घटना नहीं होती। गिरफ्तारी से पहले तक इंदौर में कुछ भक्तों के बीच भी बाबा डींग हांक रहे थे कि देखता हूं, मुझे गिरफ्तार करके अशोक गहलोत कैसे सरकार चलाते हैं। चुनाव आने वाले हैं दुबारा सरकार नहीं बना पाएंगे।
आसाराम ने सबसे पहले साबरमती के मोटेरा में दलित छात्रों के लिए छात्रावास बनाने के नाम पर सरकार से जमीन ली और आश्रम खड़ा कर दिया। इसके बाद आसपास की 60 हजार वर्गमीटर सरकारी जमीन पर कब्जा जमा लिया। सूरत, नवसारी, भरुच, बनासकांठा आदि शहरों के अलावा गुजरात के आदिवासी इलाकों में भी पैर पसारे।
पुराने साथी खोल रहे गोरखधंधों की पोल
बगावत करने वालों को आसाराम द्रोही बताकर साधकों से उनके परिवार से संपर्क नहीं रखने की हिदायत देते हैं। अहमदाबाद के अमृत वैधराज हों या दीपेश-अभिषेक मौत मामले के गवाह राजू चांडक। आज ऐसे कई लोग हैं जो बापू के गोरखधंधों की पोल खोलते हुए कहते हैं कि ऐसा कोई अनैतिक कारोबार नहीं है, जो आश्रम में नहीं होता हो। महिलाओं व बच्चों के यौन शोषण के अलावा बच्चों पर तांत्रिक विद्या करने की भी कई बार पुष्टि हुई है। वैद्यराज अमृत भाई बताते हैं कि बापू के आश्रमों में अपराधी किस्म के लोग शरण लेते हैं जिनके जरिये बापू अपने गोरखधंधों व जमीन कब्जाने को अंजाम देते हैं। मोटेरा आश्रम में करीब 5 सौ साधक व तीन सौ साधिकाएं 24 घंटे रहते हैं। कहा जाता है कि सत्संग के दौरान आसाराम फूल फेंककर साधिकाओं का चयन कर लेते हैं, जिन्हें अगले कुछ माह बापू के सानिध्य में रहने का मौका मिलता है।
वंजारा भी हैं बापू के भक्त
मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ निलंबित आइपीएस डीजी वंजारा के पत्र को भी आसाराम से जोड़कर देखा जा रहा है। वंजारा की बापू में अगाध श्रद्धा रही है। बापू के आश्रमों में स्थानीय अधिकारियों व स्थानीय नेताओं की खासी आवाजाही रहती है। माना जा रहा है कि किशोरी से रेप के मामले के बाद मोदी ने आसाराम के बचाव में आने से साफ इन्कार कर दिया जिससे व्यथित होकर वंजारा ने इस्तीफे के साथ राज्य सरकार को कोसते हुए पत्र लिखा।
Original.. http://www.jagran.com/news/national-aasaram-from-coal-thief-to-storyteller-10698589.html
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