नई दिल्ली। सीरिया में पश्चिमी सुरक्षा बलों का दखल भारत को भारी पड़ सकता है। यदि ऐसा हुआ तो देश में आने वाला कच्चा तेल इतना महंगा साबित होगा कि सरकार की सारी नीतियां धरी की धरी रह जाएंगी।
अमेरिका के राज्य सचिव जॉन कैरी ने कहा था कि अमेरिका के पास इस बात के सबूत हैं कि सीरिया में रासायनिक अस्त्र का उपयोग हुआ था। इस बयान के बाद ही कच्चे तेल की कीमत में 2.80 डॉलर प्रति बैरल चढ़ गया और छह माह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। ये तो सिर्फ बयान का नतीजा था। अगर सीरिया में गृह युद्ध हुआ तो भारतीय सरकार की मुश्किलें और भी ज्यादा बढ़ जाएंगी।
सरकार के चालू खाता घाटा (सीडीए) को नियंत्रण करने की सारी नीतियों पर पानी फिर जाएगा। कच्चा तेल बढ़ने के साथ ही डीजल सब्सिडी का बोझ पहले से ज्यादा भारी हो जाएगा। डॉलर के मुकाबले रुपये ने वैसे ही देश को चिंता के भंवर में डाल रखा है। रुपया और कच्चे तेल दोनों के मिलने का मतलब है भारत को 7,000 रुपये प्रति बैरल से ज्यादा कीमत रहा है। अप्रैल में भारत करीब 5,550 रुपये प्रति बैरल पर कच्चा तेल खरीद रहा है।
भारत अपनी जरूरत का 80 फीसद कच्चा तेल विदेश से आयात करता है। सीरिया, लीबिया और अन्य देशों में हो रही हलचल का खामियाजा भारत और भारत की जनता को भुगतना पड़ेगा। यहां आप इस बात पर ध्यान दें कि इराक जोकि दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता देश है और भारत को तेल उपलब्ध कराने वालों में दूसरे स्थान पर है। अगर सुन्नी उग्रवादी जैसे अल-कायदा इराक की सीमा पार करते हुए सीरिया पर हमला करता है तो कच्चे तेल की कीमत 120-130 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है।
Original... http://www.jagran.com/news/business-syria-issue-make-on-impact-on-indian-crude-oil-price-10695300.html
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