
नई दिल्ली। जीवन के शुरुआती दिनों से ही अच्छाई और बुराई की पहचान कराकर मनुष्य बनने की प्रेरणा वास्तव में गुरु से ही मिलती है। उसके दिए संस्कारों से ही भविष्य पुष्पित-पल्लवित होता है :
वैसे तो हमारे देश में प्राचीन काल से ही गुरु-शिष्य परंपरा रही है, लेकिन 20वीं सदी में स्वतंत्र रूप से दुनिया के कई देशों में शिक्षक दिवस मनाने की परंपरा शुरू हुई।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1888-1975) :
-1962-1967 तक देश के दूसरे राष्ट्रपति रहे प्रख्यात दार्शनिक और लेखक, शिक्षाविद डॉ राधाकृष्णन धर्म और दर्शन के प्रकांड विद्वान थे। 1952 में उनको देश का पहला उपराष्ट्रपति बनने का भी गौरव प्राप्त रहा। 1954 में भारत रत्न से सम्मानित किए गए।
-जब वह राष्ट्रपति चुने गए तो उनके शिष्यों एवं मित्रों ने उनके जन्मदिन का उत्सव मनाने विचार किया। इसके जवाब में डॉ राधाकृष्णन ने कहा कि यदि जन्मोत्सव मनाने के बजाय पांच सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए तो ज्यादा बेहतर होगा। इस तरह 1962 से पांच सितंबर देश भर में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
विदेश में :
सऊदी अरब, यमन, बहरीन, मिस्र और जॉर्डन समेत दुनिया के 11 देश 28 फरवरी को शिक्षक दिवस मनाते हैं।
अर्जेटीना :
देश के सातवें राष्ट्रपति और शिक्षाविद डोमिंगो फॉसटिनो सरमिएंटो (1811-1888) के महान कार्यो की स्मृति में उनकी पुण्यतिथि 11 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
भूटान :
देश में आधुनिक शिक्षा की पहल करने वाले तीसरे राजा जिग्मे दोरजी वांगचुक (1929-1972) के जन्मदिन दो मई को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
तुर्की :
आधुनिक तुर्की के निर्माता मुस्तफा कमाल अतातुर्क ने कहा था कि शिक्षक ही नई पीढ़ी का निर्माण करता है। अतातुर्क को तुर्की का मुख्य शिक्षक भी कहा जाता है।
Original.. http://www.jagran.com/news/national-teachers-day-10700294.html
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