नई दिल्ली। ओलंपिक हों, कॉमनवेल्थ गेम्स हों या फिर एशियन गेम्स..भारत को हर बड़ी प्रतियोगिता में अपने खिलाड़ियों से मेडल चाहिए। स्वर्ण मिल जाए तो बहुत बढि़या, वरना रजत या कांस्य तो मिलना ही चाहिए..क्या यह उम्मीदें जायज हैं? हकीकत पर गौर फरमाएं तो यह उम्मीदें बेइमानी ही नजर आती हैं। केंद्र सरकार ने आज माना है कि भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) और खेल स्टेडियमों में प्रशिक्षकों की कमी है और तो और 1993 से कोचों की भर्ती तक नहीं हुई है। वहीं, खेल मंत्री जितेंद्र सिंह ने भी आने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स व एशियन गेम्स की तैयारियों को लेकर नाराजगी जाहिर की है।
युवा मामलों व खेल राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में कमला देवी और एसएस रामासुब्बू के सवालों के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विभिन्न खेल विधाओं में कोचों की कमी का मुख्य कारण 1993 से साइ में कोचों की भर्ती ना होना है। वहीं, खेल मंत्री ने जब 2014 में ग्लासगो में होने वाले कॉमवेल्थ गेम्स व इंचियोन (सियोल) में होने वाले एशियन गेम्स की तैयारियों का जायजा लिया तो वह भी हताश रह गए। सोमवार को साइ अधिकारियों की बैठक लेते हुए खेल मंत्री जितेंद्र सिंह ने तैयारियों को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की और कुछ ही खेल संघों द्वारा अब तक ट्रेनिंग प्रोग्राम व संभावित पदक विजेताओं की सूची देने पर भी अपनी चिंता व्यक्त की।
खेल मंत्री ने तो अधिकारियों को कमर कस लेने और तैयारियों में जुट जाने का आदेश जारी कर दिया है लेकिन अब सवाल यही है कि इतने कम समय में कैसे उन खिलाड़ियों को तैयार किया जाएगा जो विश्व स्तर के मंच पर भारत को पदक जिता सकेंगे।
Original Found Here.. http://www.jagran.com/news/sports-dumped-sai-preparations-a-scare-for-indian-medal-prospects-10625713.html
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