नई दिल्ली। 30 वर्ष पहले दिल्ली के मोहम्मद गुलफाम ने सरहद पार पाकिस्तान की एक लड़की नूजत जहां से शादी की थी। शादी के बाद नूजत पति गुलफाम के साथ भारत आ गई। काफी समय एक साथ बिताने के बाद देश के कानून ने दोनों को एक-दूसरे से अलग होने पर मजबूर कर दिया। नूजत ने अवैध रूप से भारत में रहने के जुर्म में न केवल जेल में सजा काटी, बल्कि उसे उसके पति, बेटे व पोते से अलग कर निचली अदालत ने पाकिस्तान वापस भेजने के आदेश दे दिए। नूजत पति व बच्चों को छोड़ पाकिस्तान नहीं जाना चाहती थी। उसने दिल्ली हाई कोर्ट में न्याय की गुहार लगाई और उसकी अपील की स्वीकार कर लिया गया।
हाई कोर्ट ने नूजत को राहत प्रदान की है। अब नूजत अपने पति व बच्चों के साथ ईद मना सकेगी। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति कैलाश गंभीर व न्यायमूर्ति इंद्रमीत कौर की खंडपीठ ने कहा रमजान का महीना चल रहा है और आगामी दिनों में ईद का त्योहार है। ईद भारत व मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए प्रमुख त्योहार है। ऐसे में नूजत को भी यह त्योहार अपने परिवार के साथ मिलकर मनाए जाने का मौका प्रदान किया जाना चाहिए। उसे निर्मल छाया परिसर से रिहा कर उसे उसके पति गुलफाम व बेटों के पास जाने दिया जाए।
खंडपीठ ने मामले में गृह मंत्रालय को निर्देश दिया है कि वह तीन महीने में नूजत को देश की नागरिकता दिए जाने संबंधी आवेदन पर निर्णय दे या फिर उसकी वीजा की अवधि बढ़ाए। इसके अतिरिक्त अदालत ने नूजत जहां को निर्देश दिया कि वह मामले में क्राइम ब्रांच डीसीपी के समक्ष एक आवेदन पत्र दायर करे। इसमें उसके मामले का निपटारा किए जाने तक उसे पति व बच्चों के साथ तुर्कमान गेट इलाके में रहने दिए जाने की मांग की गई हो। महिला अपने मामले का निपटारा होने से पहले देश छोड़कर कहीं नहीं जाएगी और दिल्ली के तुर्कमान गेट इलाके से अगर वे अपना पता बदलते हैं तो इसकी सूचना दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को देगी।
नूजत की शादी मोहम्मद गुलफाम से दो अगस्त 1983 को पाकिस्तान में हुई थी और 23 मई 1985 से भारत में वह रह रही थी। उसके दो बेटे व एक बेटी की शादी भी यहीं हुई है। मार्च 1993 तक उसे भारत सरकार ने वीजा दिया। लगातार अवधि बढ़वाने के कारण उसका वीजा बढ़ाए जाने से इन्कार कर दिया गया। दिल्ली पुलिस ने वर्ष 2002 में उसके खिलाफ विदेशी अधिनियम के तहत केस दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया। जेल से जमानत पर नूजत जहां रिहा हुई, मगर खुद को निर्दोष साबित नहीं कर सकी। नूजत का कहना था कि उसने वर्ष 1994 में देश की नागरिकता हासिल करने के लिए सरकार के समक्ष आवेदन दाखिल किया था। उसकी अपील अभी भी लंबित है। तीसहजारी कोर्ट के महानगर दंडाधिकारी ने 4 दिसंबर 2012 को उसे छह माह की कैद सुनाई। मामले को सत्र अदालत में चुनौती दी गई। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नरेंद्र कुमार ने 2 मई 2013 को नूजत की सजा घटाकर उसे एक सप्ताह कर दी और उसे पाकिस्तान भेजे जाने के आदेश कर दिए। सजा काटने के बाद नूजत ने उसे पाकिस्तान भेजे जाने के निर्णय को उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी। मगर, उसे जेल से निकलने के बाद परिवार के साथ रहने नहीं दिया गया। उसे भिखारियों के लिए बनाए गए निर्मल छाया परिसर में भेज दिया गया था।
Original Found Here.. http://www.jagran.com/news/national-pak-girl-will-celebrate-eid-with-her-own-family-in-her-country-10631158.html
0 comments:
Post a Comment