मुंबई। सीखने की कोई उम्र नहीं होती और अगर सीखना बंद तो जीतना बंद। आजकल यही नारा अमिताभ बच्चन क्विज शो केबीसी के लिए बुलंद कर रहे हैं। इसी टैगलाइन को ध्यान में रखते हुए हमने उनसे शिक्षक दिवस के अवसर शिक्षक और शिक्षा के मायने पूछ लिए। उनका जवाब था, 'शिक्षक वह होता है जो आपको जीवन जीने की विधा सिखाता है। वो आपका दोस्त, सहेली, पड़ोसी और माता-पिता भी हो सकते हैं। एक अच्छा शिक्षक कभी सिखाने से नहीं थकता और एक एक अच्छा छात्र कभी भी सीखने से नहीं थकता। मैंने अपने जीवन में हर-पल सीखा है। इलाहाबाद समेत अन्य शहरों में मेरी पढ़ाई की बात हो या फिर मुबंई में आकर अभिनय करने की बात, मैंने हमेशा अपने वरिष्ठों से सीखा है।
पिछले दिनों मैंने सोशल नेटवर्किंग साइट पर अपनी व्यस्तता इसीलिए बढ़ाई कि मैं युवा दोस्तों की गतिविधियां देखकर हतप्रभ रह जाता था। मैंने जब ट्विटर और फेसबुक पर अपनी सक्रियता बढ़ाई तो पता चला कि युवा कितने रचनात्मक हैं। इसी वजह से मैंने भी कुछ लिखना प्रारंभ किया। हालांकि, लिखना मेरे लिए हमेशा बाबू जी की प्ररेणा से ही होता रहा है। इन दिनों मेरे कवर पेज पर आप जो कविता पढें़गे वह कहीं न हीं बाबू जी की प्रेरणा और युवा दोस्तों की बदौलत है। लेकिन मैं कल भी कहता था और आज भी कह रहा हूं कि कविता लिखना या दुनिया का दूसरा कोई भी काम किसी काम से कम महत्वपूर्ण नहीं है। जैसे मैं कवि नहीं बन सकता वैसे कवि अभिनेता नहीं बन सकता।
मेरी युवाओं से यही अपील है कि सीखना बंद मत कीजिए। जीवन हमें मिला ही इसी वजह से है कि हम सीखें और आने वाली पीढ़ी को कुछ कारगर चीजें देकर जा सकें जिससे जीवन में सुगमता और सहजता बनी रहे।
मुझे याद आते हैं इलाहाबाद के वे दिन जब हमारे घर में परिमल की गोष्ठियां हुआ करती थी। बाबू जी, रघुवंश और मैथिली शरण गुप्त के साथ ही धर्मवीर भारती भी इस गोष्ठी में आया करते थे। मैं बहुत छोटा था, लेकिन कहीं न कहीं छिपकर उन लोगों को देखा करता था। ये गोष्ठियां रात 12 बजे के बाद प्रारंभ होती थी तो मेरे बाल सुलभ मन में साहित्य को लेकर उत्कंठाएं उसी दौर से आती रही हैं। मैंने पिछले दिनों रघुवंश जी के निधन की खबर सुनी तो परिमल के बारे में अपडेट भी किया था। परिमल ने भी मुझे बहुत कुछ सिखाया है।'
दुर्गेश सिंह
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