रेवाड़ी, [जासं]। जिले के मीरपुर गांव के जाबांज जवान की अंतिम विदाई भी ऐतिहासिक रही। मौत के 45 वर्ष बाद बुधवार को गांव के लाडले जगमाल सिंह का शव जब हिमाचल प्रदेश के ग्लेशियर से गांव पहुंचा तो लोगों के चेहरों पर युवा जगमाल को खोने का गम कम, देशभक्ति का जज्बा अधिक था। उनके 52 वर्षीय बेटे रामचंद्र ने पिता की चिता को मुखाग्नि दी।
जगमाल का शव विशेष एंबुलेंस में लगभग पौने 12 बजे मीरपुर पहुंचा। उस समय गांव के हर घर में लोग अपने लाडले के अंतिम दर्शन के लिए आतुर थे। मीरपुर में पहुंचते ही हर ओर से जब तक सूरज चांद रहेगा, जगमाल तेरा नाम रहेगा..व जगमाल सिंह अमर रहे के नारे गूंजने लगे। भीड़ का आलम यह था कि रामचंद्र के घर तक पहुंचना लोगों के लिए मुश्किल हो रहा था। घर पर अंतिम विदाई से पूर्व होने वाले रीति-रिवाज निभाने के बाद अपराह्न एक बजे शवयात्रा शुरू हुई तो मार्ग में लोगों ने अपने घरों की छत से पुष्पवर्षा की व भारत माता की जय के नारे लगाए। परंपरा के विपरीत बड़ी संख्या में महिलाएं भी अंतिम संस्कार में शामिल हुई। विभिन्न दलों के नेताओं ने भी अंतिम संस्कार में शामिल होकर श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस माहौल ने वर्ष 1968 में हुए हवाई हादसे को शहादत जैसा बना दिया। चारों ओर उड़ रहे गुलाल बता रहे थे कि जगमाल सिंह हर दिल में बस गए हैं।
अंतिम संस्कार के लिए बने चबूतरे पर खड़े होकर रामचंद्र ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। रामचंद्र भी पूर्व सैनिक हैं। मौत के समय जगमाल की उम्र 28 साल थी। श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में विभिन्न दलों के कई बड़े नेता और मंत्री शामिल थे।
सेना की ओर से मेजर वरुण प्रकाश, मेजर एसएन व्यास व साथ आए जवान तथा जिला प्रशासन की ओर से कई बड़े अधिकारियों ने जगमाल की पार्थिव देह पर पुष्पचक्र अर्पित किए। सेना व पुलिस की टुकड़ी ने शस्त्र उलटे कर अंतिम सलामी दी।
वर्ष 1968 में ड्यूटी पर जाते समय सैन्य विमान हिमाचल में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस विमान में दो पायलट सहित 98 जवान सवार थे। इसी विमान में जगमाल सिंह भी थे, लेकिन उस समय विमान का मलबा तक नहीं मिला। बाद में विमान का मलबा मिला और अब तक छह जवानों के शव भी मिल चुके हैं। पिछले दिनों जगमाल का शव मिला।
Original.. http://www.jagran.com/news/national-45-years-after-the-death-pyre-burned-10699082.html
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