जागरण संवाददाता, आगरा। जीवन बीमा निगम (एलआइसी) की सभी चालू पॉलिसी 30 सितंबर से बंद होने जा रही हैं। वह अब नए कलेवर में आएंगी। इसके साथ ही एक अक्टूबर से नई पॉलिसी लेने पर उपभोक्ताओं को 3.09 फीसद सेवा कर देना होगा। हालांकि पुराने पॉलिसी धारकों पर इस फैसले का कोई असर नहीं पड़ेगा।
दरअसल, बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (आइआरडीए) 22 से ज्यादा निजी बीमा कंपनियों के प्रीमियम पर 3.09 प्रतिशत सर्विस टैक्स चार्ज करता है, लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी एलआइसी इसे पॉलिसी धारकों से वसूलने के बजाय खुद वहन करती है। निजी कंपनियां इस पर आइआरडीए से लगातार आपत्ति दर्ज करा रही थीं।
हाल में आइआरडीए ने एलआइसी को भी सभी पॉलिसी पर सर्विस टैक्स चार्ज करने के आदेश दिए। इसके बाद एलआइसी के सामने समस्या थी कि वह पुरानी पॉलिसी पर कैसे सर्विस टैक्स वसूले, क्योंकि वह पहले ही पॉलिसी बांड लोगों से बिना सर्विस टैक्स के भरवा चुकी है।
इस समस्या से निजात को अब एलआइसी ने अपनी सभी पुरानी पॉलिसी बंद करने का फैसला किया है। सूत्रों की मानें, तो 40 से ज्यादा पुरानी पॉलिसी 30 सितंबर से बंद करने की तैयारी है। इसका पूरा खाका तैयार हो गया है। एक अक्टूबर से पुरानी पॉलिसी के स्थान पर नई पॉलिसी लांच करने की तैयारी है। हालांकि पॉलिसी के नाम पुरानी पॉलिसी से मिलते-जुलते ही होंगे। नई पॉलिसी कराने पर अब उपभोक्ता को प्रीमियम के साथ सर्विस टैक्स भी देना होगा। जो लोग 30 सितंबर तक पॉलिसी कराएंगे, वह सर्विस टैक्स की जद से बाहर रहेंगे।
हालांकि यह पूरी कवायद बेहद गोपनीय तरीके से चल रही है, लेकिन लोगों को इसकी भनक लग चुकी है। लोग जानकारी करने को एलआइसी एजेंट व अधिकारियों के पास जा रहे हैं। उन्हें पूरी सूचनाएं देकर संतुष्ट करने के साथ ही 30 सितंबर तक पॉलिसी कराकर सर्विस टैक्स मुक्ति का लाभ लेने की बात समझाई जा रही है।
तैयार हो रहा है प्रपोजलएलआइसी आगरा मंडल की वरिष्ठ प्रबंधक एन. सेन्नि सुब्बु का कहना है कि आइआरडीए की गाइड लाइन सर्विस टैक्स लागू करने की है। इस आधार पर एक अक्टूबर से 3.09 प्रतिशत सर्विस टैक्स प्रीमियम पर वसूलने का प्रपोजल तैयार है। पुराने पॉलिसी धारकों से प्रीमियम के साथ सर्विस टैक्स वसूला नहीं जा सकता, इसलिए निगम मुख्यालय से नई पॉलिसी लाने का प्रपोजल तैयार कर आइआरडीए को भेजा गया है। स्वीकृति का इंतजार है।
बीमा पॉलिसी में ओल्ड इज गोल्ड
मथुरा। सुनो पर आश्चर्य मत करो। ये एक ऐसी बीमा पॉलिसी है जो अंग्रेजों के जमाने की है। डाक विभाग की ये पॉलिसी सरकारी कर्मचारियों में बहुत प्रिय रही है। इसकी वजह यह है कि बैंकों, एलआइसी और निजी बीमा कंपनियों की तुलना में यह अब भी ज्यादा रिटर्न दे रही है। मगर, अब एक मुश्किल है। वृद्धावस्था की तरह इसको रोग लग गया है। तबीयत नासाज होने से रिटर्न देने की क्षमता में कमजोरी आ गई है।
एक फरवरी 1884 को अंग्रेज पोस्टल डायरेक्टर एफआर फ्राग ने पोस्टल लाइफ इंश्योरेंस (पीआइएल) पॉलिसी शुरू की थी। इसका उद्देश्य सरकारी और अर्ध सरकारी कर्मचारियों को जीवन बीमा से जुड़े लाभ दिलाना था। पॉलिसी में पहले दिन से ही कम प्रीमियम देकर ज्यादा बोनस देने की प्रथा रखी गई, जो आज तक चली आ रही है। अब डाक विभाग ने इस पर ध्यान देना बंद कर दिया है, इससे इसकी तबियत बिगड़ने लगी है।
बीमा के अलावा बचत व टैक्स जैसी कुछ अन्य छूट के लाभ भी इसमें दिए जाते हैं। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, आज भी कम प्रीमियम पर ज्यादा रिटर्न देने वाली ऐसी पॉलिसी किसी के पास नहीं है।
रूरल पोस्टल लाइफ इंश्योरेंस का हाल भी अच्छा नहीं है। 1995 से चल रही इस स्कीम में भी विभाग केवल 6722 पॉलिसी ही बेच सका है। डाक प्रवर अधीक्षक सुनील कुमार कहते हैं कि इन दोनों बेहद उपयोगी पॉलिसी के प्रचार-प्रसार की जरूरत है। मार्केटिंग की कमी विभाग को भी खल रही है।
डाक विभाग की इस पॉलिसी पर उपभोक्ता को सालाना प्रति हजार रुपये पर 65 रुपये बोनस मिलता है। जबकि एलआइसी की 10 साल की पॉलिसी पर 30 रुपये, 20 साल की पॉलिसी पर 45 रुपये और 30 साल की पॉलिसी पर 55 रुपये बोनस मिलता है। सर्वाधिक 80 रुपये बोनस लाइफ लांग पॉलिसी पर ही मिलता है।
Original.. http://www.jagran.com/news/business-changes-in-lic-policy-10703570.html
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