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Thursday, September 5, 2013

Indian Writer Sushmita Death Was Then Dragged to Afganisthan


Indian writer

कोलकाता, जयकृष्ण वाजपेयी। किसी ने सत्य कहा है कि मौत की जगह व समय निश्चित होता है। अफगानिस्तान में आठ वर्षो तक नारकीय जीवन बिताने के बावजूद सुष्मिता बनर्जी वहां फिर गईं और आखिर उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई।
'काबुली वाले की बंगाली बीवी' किताब की मशहूर लेखिका बनर्जी अफगानिस्तान में लंबे समय तक जुल्म सहने के बावजूद फिर कैसे वहां पहुंच गई, इस बारे में कोई नहीं जानता। कोलकाता के सर्वेपार्क इलाके के एक बंगाली ब्राह्मंण परिवार में जन्मी सुष्मिता कोलकाता में ही व्यवसाय करने वाले अफगानी युवक जाबांज खान के प्यार में पड़ गईं। 1989 में परिजनों के कड़े विरोध के बावजूद दोनों ने शादी रचा ली। जाबांज खान उसे अपने देश ले जाकर परिजनों के हवाले कर देता है और उसे बिना कुछ बताए वापस कोलकाता आ जाता है। आठ वषरें तक तालिबानी निरंकुश धार्मिकता व कट्टरता की बंदी बनकर सुष्मिता ने अत्याचार व यातनाएं झेली। काफी जद्दोजहद के बाद उस नारकीय जीवन से बाहर निकलीं और कोलकाता आकर अपनी आत्मकथा 'काबुलीबालार बंगाली बऊ' लिखी, जो देश भर में प्रसिद्ध हुई। बंगाली भाषा में लिखी इस पुस्तक का 2002 में अनुवाद करने वाली नीलम शर्मा 'अंशुं' ने बताया कि मुझसे सुष्मिता की एक-दो बार बात हुई थी। मैंने उनसे पूछा था कि आपके पति जाबांज खान कहां है? उन्होंने उत्तर दिया था कि बगल के कमरे में हैं, जबकि सच्चाई यह थी कि उन्हें अफगानिस्तान में छोड़कर जाबांज कोलकाता भाग आया था। एक बार और मैंने पूछा था कि इतनी यातनाओं के बावजूद साथ क्यों रह रही हैं। तब उन्होंने कहा था कि मैंने प्रेम विवाह किया है। मेरे पास पति के अलावा कोई नहीं है। मेरे परिजन भी मुझसे नाता तोड़ चुके हैं। इतने रुपये भी नहीं हैं कि मैं अपने पैरों पर खड़ी हो सकूं। 

सुष्मिता ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि जब पहली बार अफगानिस्तान पहुंची तो हमारा घर मिट्टी का था, लेकिन दो मंजिला। नीचे बैठक खाने में मेरी ससुराल पक्ष के लोग फैसला कर रहे थे कि मेरा क्या किया जाए। मुझे गोली मार दें या हिन्दुस्तान भेज दें? दो चार तालिबानी भी आए थे। तालिबानी कह रहे थे कि ऐसे जघन्य अपराध [प्रेम विवाह] करने वाली चरित्र की महिला को मार डालेंगे। मैं बैठकखाने के दरवाजे के पास खड़ी उनकी बातें सुन रही थी। तभी मैंने फैसला किया कि मैं मरूंगी लेकिन इनके हाथों नहीं। आखिरकार वही हुआ और वापस अफगानिस्तान पहुंची सुष्मिता बनर्जी को तालिबानी आतंकियों ने गोली मार दी।

Original.. http://www.jagran.com/news/national-indian-writer-sushmita-death-was-then-dragged-to-afganisthan-10702954.html

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