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Friday, September 6, 2013

Raining of Bills This Monsoon Session


Parliament

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। संसद के मानसून सत्र के आखिरी चरण में विधेयकों की बारिश सी हो गई। शुरुआती पखवाड़े में संसद की कार्यवाही बाधित ही रही लेकिन पिछले तीन दिनों में ही लगभग एक दर्जन से ज्यादा विधेयक दोनों सदनों से पारित हुए। इसका कारण यह रहा कि कोयले की आग में भड़की सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच की कटुता मानसून सत्र की समाप्ति तक भाईचारे में बदल गई। सरकार ने एक कदम आगे बढ़कर विपक्ष को उनके चहेते विषयों पर बोलने का निर्बाध अवसर दिया तो विपक्ष ने भी खुले दिल से एक ही दिन में एक के बाद एक विधेयक पारित करवाने की छूट दे दी।

सरकार बहुत देर से जागी। सरकार के अड़ियल रवैये के कारण शुरुआत के एक पखवाड़े तक बाधित रही लोकसभा की कार्यवाही बुधवार से सुचारू हो गई। दरअसल यह तब संभव हुआ, जब सरकार के प्रबंधकों ने विपक्ष की यह मांग मान ली कि उन्हें कोयला घोटाला और चीन के अतिक्रमण जैसे संवेदनशील मुद्दों पर बोलने का निर्बाध अवसर दिया जाएगा। जिस पेंशन विधेयक को लेकर सरकार परेशान थी, बुधवार को वह लोकसभा से बहुत आसानी से पारित हो गया। गुरुवार को भी एक के बाद एक चार विधेयकों को हरी झंडी मिल गई। भाईचारा का असली नजारा शुक्रवार को दिखा, जब मुख्य विपक्षी दल ने ही सरकार को राह दिखाई और खुली छूट दे दी कि जितने भी प्रस्तावित विधेयक हैं उन्हें एक ही दिन में पारित करा ले।

शुक्रवार के लिए लोकसभा में 11 और राज्यसभा में सात विधेयक प्रस्तावित थे। लेकिन चीनी अतिक्रमण को लेकर सुबह ही माहौल फिर से गरमाने लगा था। रक्षामंत्री एके एंटनी ने बयान तो दिया, लेकिन विपक्ष को संतुष्ट नहीं कर सके। बताते हैं कि ऐसे में भाजपा नेताओं ने संसदीय कार्यमंत्री को सलाह दी कि वह फिर से एंटनी को सदन में बुलाकर विपक्ष के सवालों का जवाब देने को कहें तो कार्यवाही में कोई अड़चन नहीं होगी। कमलनाथ ने भी तत्काल हामी भरी और तय स्क्रिप्ट के अनुसार ही उन्होंने आश्वासन दिया। पहले भाजपा के यशवंत सिन्हा और फिर सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने सरकार पर भड़ास निकाली। उसके बाद कोई अड़चन नहीं थी। लोकसभा में कमलनाथ ने कुछ विधेयकों को शनिवार तक टालने का संकेत दिया तो नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने तत्काल स्पष्ट कर दिया कि 'जो कुछ कराना है, आज ही करा लें, हम कल नहीं आएंगे।' हालांकि शनिवार को भी सदन चलना है। वहीं राज्यसभा में शुक्रवार को दो ही विधेयक पारित हो सके। बाकी विधेयकों को शनिवार को पारित कराया जा सकता है। गौरतलब है कि 30 अगस्त को समाप्त होने वाले मानसून सत्र की अवधि पहले छह सितंबर तक बढ़ाई गई थी, ताकि विधेयक पारित कराए जा सकें। लेकिन उसमें भी शुरुआती दो दिन बाधित रहे थे। सरकार ने फिर से एक दिन का अवधि बढ़ाई है।

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