चंडीगढ़, जागरण ब्यूरो। सभी को खुश करने की नीति से पंजाब का खजाना आज उस मुकाम पर पहुंच गया है जिसे तंगहाली का नाम दिया जा सकता है। राज्य सरकार को न केवल अपने ही कर्मचारियों का वेतन रोकना पड़ रहा है बल्कि रिटायर हुए कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के लाभ देने में भी मुश्किल आ रही है। पेंडिंग बिलों का भुगतान न होने के कारण चंडीगढ़ प्रशासन ने पंजाब सरकार की गाड़ियों ईंधन देना तक बंद कर दिया है और अब पंजाब के पेट्रोलियम डीलर भी ऐसा ही कदम उठाने जा रहे हैं।
कर्ज बना मर्ज
गठबंधन सरकार हर उस जगह से कर्ज लेने की कोशिश कर रही है जहां से उसे अपने रोजमर्रा के खर्च चलाने के लिए धन मिल सकता है। बीते छह साल में पंजाब सरकार पर 38109 करोड़ व पब्लिक सेक्टर यूनिटों पर 69270 करोड़ रुपये का कर्ज चढ़ा। यह माना जा रहा है कि 2013-14 के अंत तक पंजाब पर 190 लाख करोड़ का कर्ज हो जाएगा। पिछले कई साल से पंजाब सरकार कर्ज के ब्याज की अदायगी के लिए भी कर्ज ले रही है।
वेतन भत्तों के 1400 करोड़ रुके
वित्त मंत्री परमिंदर ढींढसा वेतन रोकने के आदेश देने की बात से इन्कार करते हैं। ढींढसा की बात में पूरा सच नहीं है। सूत्रों के मुताबिक पंजाब के आधे के करीब सरकारी कर्मचारियों को इस माह का वेतन अब तक नहीं मिला है। वेतन जारी हो रहा है मगर किश्तों में, किसी दिन किसी जिले के किसी विभाग को वेतन दिया जाता है तो अगले दिन किसी अन्य जिले में किसी और विभाग के कर्मचारियों का वेतन जारी होता है। कर्मचारियों को टीए और मेडिकल बिलों का भुगतान नहीं हो रहा। कुल मिलाकर इन मदों में करीब 1400 करोड़ रुपये की राशि सरकार ने रोक रखी है।
रिजर्व बैंक का रहमो-करम
रिजर्व बैंक की पिछले वित्तीय वर्ष की सभी राज्यों की वित्तीय स्थिति पर आधारित रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब की आर्थिक हालत सबसे पिछड़ी थी। देश में ओवर ड्राफ्ट के मामले में पंजाब पहले स्थान पर था। पंजाब साल में 107 दिन ओवर ड्राफ्ट के सहारे चला। खास बात यह है कि इस मामले में दूसरे नंबर पर रहा नागालैंड साल में 31 दिन ही ओवर ड्राफ्ट में था। इसी तरह वेजेज एंड मीन्स एडवांसेस में भी पंजाब अंतिम पायदान पर रहा। साल 2012-13 में 163 दिन पंजाब सरकार रिजर्व बैंक के रहमोकरम पर चली।
आमदनी कम, खर्च ज्यादा
ऐसा नहीं है कि पंजाब की आय नहीं बढ़ी है। 2007-08 में पंजाब को टैक्सों से 9899 करोड़ की आमदनी हुई थी जबकि 2012-13 में यह बढ़कर 24318 करोड़ हो गई। मगर गैर विकास खर्च इसकी तुलना में ज्यादा बढ़े। 2007-08 के 11869 करोड़ के मुकाबले पिछले वित्तीय वर्ष में गैर विकास खर्च 20030 करोड़ हुआ। सरकार अपना कुछ राजस्व वसूलने में भी नाकाम रही है। राज्य में करीब 5500 अनधिकृत कालोनियां पर सरकार ने रेगुलराइजेशन फीस लगा दी और पिछले कई माह से इन कालोनियों में प्लाट, मकान व फ्लैट आदि की रजिस्टरी रोक रखी है। कई खदानों से खनन पर लगी रोक के कारण सरकार को उससे आय नहीं हो रही जबकि वहां राजनीतिक आशीर्वाद से खनन हो रहा है।
Original.. http://www.jagran.com/news/national-employs-suffering-due-to-bad-economy-of-punjab-10700272.html
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