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Wednesday, September 4, 2013

From streets of Delhi to pitches of Australia, Birthday boy Ishant comes a long way


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नई दिल्ली। हुनर किसी का मोहताज नहीं होता, वो तो बस बहता पानी है जो अपना रास्ता खुद बना लेता है..दिल्ली में आज ही के दिन 1988 में जन्मेंइशांत शर्मा इसका एक बेहतरीन उद्हारण हैं। शायद ही किसी ने सोचा था कि शहर की गलियों से क्रिकेट खेलते-खेलते वह एक दिन ऑस्ट्रेलिया के मशहूर एडिलेड मैदान पर भारतीय क्रिकेट इतिहास की दूसरी सबसे तेज गेंद (152.6 किलोमीटर प्रति घंटा) फेंकने का गौरव हासिल करेगा।
दिल्ली के एक मध्यमवर्गी परिवार से ताल्लुक रखने वाले इशांत के पिता बचपन में ही समझ गए थे कि इशांत बड़ा होकर एक क्रिकेटर बनेगा और भारतीय टीम के लिए भी खेलेगा। इसे एक पिता की दूरदर्शी सोच का इत्तेफाक से हकीकत में बदलना कहें, या अपने बेटे पर उनका अटूट भरोसा.दोनों ही सही साबित हुए जब पहली बार 2007 में इशांत भारतीय जर्सी पहनकर मैदान पर खेलने उतरे। इशांत के पिता ने कई बार इस बात का जिक्र किया है कि इशांत क्रिकेट का दीवाना था और वह इस बात को अच्छी तरह समझ चुके थे, और उसकी प्रतिभा को भी..उसके बाद से संघर्षपूर्ण जीवन के बावजूद अपने परिवार के पालन के साथ-साथ इशांत के पिता ने अपने बेटे की हर उस मांग को पूरा किया जो उसे उसके सपने के करीब ले जा सके और वह सपना आखिर सच भी हुआ।
अंडर-19 विश्व कप में धमाल मचाने के बाद सुर्खियों में आए इशांत को यूं तो 18 साल की उम्र में ही 2006-07 के भारत के दक्षिणी अफ्रीकी दौरे के लिए बुलावा आ गया था, लेकिन कुछ कागजी पचड़ों व आयोजन खामियों की वजह से वह उस दौरे पर नहीं जा सके, हालांकि उन्हें ज्यादा दिन इंतजार नहीं करना पड़ा और मई 2007 में उन्हें बांग्लादेश के खिलाफ अपना टेस्ट डेब्यू करने का मौका मिला, जबकि ठीक उसके अगले महीने ही उन्हें दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपना वनडे डेब्यू करने का मौका भी मिल गया। उसके बाद इशांत ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा, 6 फुट 5 इंच के अभी तक के इस सबसे लंबे गेंदबाज को शुरुआत से ही प्यार से लंबू के नाम से पुकारा जाता रहा। बेशक उनके जीवन में भी बाकी दिग्गज क्रिकेटरों की तरफ उतार-चढ़ाव आए लेकिन हर बार उनकी वापसी करने की क्षमता ने उन्हें भारतीय टीम में बरकरार रखा। वह 2011 में 100 टेस्ट विकेट लेने वाले पांचवें सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बने। आज 51 टेस्ट मैचों में 144 विकेट और 57 वनडे मैचों में 79 विकेट, उनके हुनर व कामयाबी को बयां करता है। खासतौर पर ऑस्ट्रेलियाई पिचों पर उनके कहर से कंगारू टीम हमेशा त्रस्त रही, इनमें कप्तान रिकी पोंटिंग का नाम सबसे ऊपर आता है जो कई बार इशांत की गेंद पर चूके और पवेलियन लौट गए। महानतम क्रिकेटर पोंटिंग ने भी इशांत को एक बेहतरीन गेंदबाज बताया था।

Original.. http://www.jagran.com/cricket/headlines-from-streets-of-delhi-to-pitches-of-australia-birthday-boy-ishant-comes-a-long-way-10692476.html

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